- भस्म आरती: राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, धारण की शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला
- भगवान महाकाल को दान में आई अनोखी भेंट! भक्त ने गुप्त दान में चढ़ाई अमेरिकी डॉलर की माला, तीन फीट लंबी माला में है 200 से अधिक अमेरिकन डॉलर के नोट
- भस्म आरती: राजा स्वरूप में सजे बाबा महाकाल, मस्तक पर हीरा जड़ित त्रिपुण्ड, त्रिनेत्र और चंद्र के साथ भांग-चन्दन किया गया अर्पित
- श्री महाकालेश्वर मंदिर में एंट्री का हाईटेक सिस्टम हुआ लागू, RFID बैंड बांधकर ही श्रद्धालुओं को भस्म आरती में मिलेगा प्रवेश
- कार्तिक पूर्णिमा आज: उज्जैन में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, माँ क्षिप्रा में स्नान के साथ करते हैं सिद्धवट पर पिंडदान
360 डिग्री घूमने वाले शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचे भक्त:भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना
उज्जैन में माता हरसिद्धि मंदिर के पीछे विराजित श्री रामेश्वर महादेव मंदिर देश का एक मात्र ऐसा शिवलिंग है, जो 360 डिग्री घूमता भी है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भगवान राम, लक्षमण और सीता जी ने की थी। इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से 12 शिवलिंगों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।
भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में मान्यता है कि यहां कण – कण में शिव विराजित हैं। रामेश्वर महादेव मंदिर, महाकाल मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह शंकु आकार का है। मंत्रों के द्वारा इसे 360 डिग्री तक घुमाया जाता है। इस घूमते शिवलिंग को देखने और पूजन – अर्चन करने के लिए दूर – दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचते हैं। खासकर श्रावण माह में से शिवलिंग का बड़ा महत्व है।
पंडित विशाल लक्ष्मीकांत शुक्ल ने बताया कि भगवान राम वनवास के दौरान रामघाट पर अपने पिता दशरथ जी का तर्पण करने आए थे। इस दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जी ने घूमते शिवलिंग की स्थापना की थी।
भगवान राम ने डमरू यंत्र पर स्थापित किया
हरसिद्धि माता मंदिर के पीछे स्थित श्री रामेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग करीब दो टन का शंकु आकार में बना हुआ है। 360 डिग्री पर इसे पंडित जी विशेष मंत्र के द्वारा घुमाते हैं। पंडित विशाल शुक्ल बताते हैं कि त्रेता युग में आकाशवाणी हुई थी। इसके बाद जब श्रीराम राम वनवास के दौरान उज्जैन पहुंचे, तब उन्होंने इस दिव्य शिवलिंग को डमरू यंत्र पर स्थापित किया था।
महाकाल वन में स्थित, इसलिए महत्ता भी बढ़ जाती है
इस मंदिर का स्कंद पुराणों में भी उल्लेख है। अति प्राचीन शिवलिंग के दर्शन मात्र से 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में दर्शन होते हैं। क्योंकि सभी अलग – अलग दिशाओं में विराजित हैं। जब इस शिवलिंग को घुमाते हैं तो ये उन सभी ज्योतिर्लिंगों का रूप ले लेता है। इसकी महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि ये महाकाल वन में स्थित है। मान्यता है कि श्रावण माह में शिप्रा नदी में स्नान करने के बाद जल अर्पित करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।