- नंदी हाल से गर्भगृह तक गूंजे मंत्र—महाकाल के अभिषेक, भस्मारती और श्रृंगार के पावन क्षणों को देखने उमड़े श्रद्धालु
- महाकाल की भस्म आरती में दिखी जुबिन नौटियाल की गहन भक्ति: तड़के 4 बजे किए दर्शन, इंडिया टूर से पहले लिया आशीर्वाद
- उज्जैन SP का तड़के औचक एक्शन: नीलगंगा थाने में हड़कंप, ड्यूटी से गायब मिले 14 पुलिसकर्मी—एक दिन का वेतन काटने के आदेश
- सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ का संदेश, उज्जैन में निकला भव्य एकता मार्च
- सोयाबीन बेचकर पैसा जमा कराने आए थे… बैंक के अंदर ही हो गई लाखों की चोरी; दो महिलाओं ने शॉल की आड़ में की चोरी… मिनट भर में 1 लाख गायब!
360 डिग्री घूमने वाले शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचे भक्त:भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना
उज्जैन में माता हरसिद्धि मंदिर के पीछे विराजित श्री रामेश्वर महादेव मंदिर देश का एक मात्र ऐसा शिवलिंग है, जो 360 डिग्री घूमता भी है। मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भगवान राम, लक्षमण और सीता जी ने की थी। इस शिवलिंग के दर्शन मात्र से 12 शिवलिंगों के दर्शन का फल प्राप्त होता है।
भगवान महाकाल की नगरी उज्जैन में मान्यता है कि यहां कण – कण में शिव विराजित हैं। रामेश्वर महादेव मंदिर, महाकाल मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। यह शंकु आकार का है। मंत्रों के द्वारा इसे 360 डिग्री तक घुमाया जाता है। इस घूमते शिवलिंग को देखने और पूजन – अर्चन करने के लिए दूर – दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पहुंचते हैं। खासकर श्रावण माह में से शिवलिंग का बड़ा महत्व है।
पंडित विशाल लक्ष्मीकांत शुक्ल ने बताया कि भगवान राम वनवास के दौरान रामघाट पर अपने पिता दशरथ जी का तर्पण करने आए थे। इस दौरान भगवान राम, सीता और लक्ष्मण जी ने घूमते शिवलिंग की स्थापना की थी।

भगवान राम ने डमरू यंत्र पर स्थापित किया
हरसिद्धि माता मंदिर के पीछे स्थित श्री रामेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग करीब दो टन का शंकु आकार में बना हुआ है। 360 डिग्री पर इसे पंडित जी विशेष मंत्र के द्वारा घुमाते हैं। पंडित विशाल शुक्ल बताते हैं कि त्रेता युग में आकाशवाणी हुई थी। इसके बाद जब श्रीराम राम वनवास के दौरान उज्जैन पहुंचे, तब उन्होंने इस दिव्य शिवलिंग को डमरू यंत्र पर स्थापित किया था।

महाकाल वन में स्थित, इसलिए महत्ता भी बढ़ जाती है
इस मंदिर का स्कंद पुराणों में भी उल्लेख है। अति प्राचीन शिवलिंग के दर्शन मात्र से 12 ज्योतिर्लिंगों के रूप में दर्शन होते हैं। क्योंकि सभी अलग – अलग दिशाओं में विराजित हैं। जब इस शिवलिंग को घुमाते हैं तो ये उन सभी ज्योतिर्लिंगों का रूप ले लेता है। इसकी महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि ये महाकाल वन में स्थित है। मान्यता है कि श्रावण माह में शिप्रा नदी में स्नान करने के बाद जल अर्पित करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।